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Channel: ज्ञान दर्पण
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कौन होते हैं भूमिया क्या कहता है इसके बारे में इतिहास

इतिहास में भूमिया शब्द भूस्वामियों के लिए प्रयोग हुआ है | यहाँ भूस्वामियों का मतलब कुछ एकड़ खेत के स्वामी से नहीं, वरन एक क्षेत्र पर राज्य करने वाले व्यक्ति के लिए भूमियाशब्द का प्रयोग मिलता है, क्योंकि...

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राजपूत चरित्र को प्राणवान ऐसी भावना ने बनाया

राजपूत चरित्र को प्राणवान ऐसी भावना में बनाया : दो शत्रु युद्ध में तलवारों से खेल रहे हैं, एक दूसरे पर प्रहार कर रहे हैं, “काका-भतीजा” कहकर एक दूसरे से बात भी करते जा रहे हैं और आपस में अमल की मनवार भी...

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लोक कथाओं में स्वतंत्रता इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी डूंगजी जवाहर जीको अंग्रेजों के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए धन की आवश्यकता थी, उन्होंने रामगढ के सेठों से सहायता मांगी पर उन्होंने यह सोचते हुए उन्हें मना कर दिया कि – ये बरोठिया...

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नेत्रहीन सेठानी

ये रामगढ सेठान का गंगा मैया मंदिर है | इस मंदिर बनने के पीछे एक नेत्रहीन सेठानी की रोचक कहानी जुड़ी है |  रामगढ क़स्बा राजस्थान के शेखावाटी आंचल में बसा है | इसे रामगढ शेखावाटी के नाम से भी जाना जाता है...

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खेजड़ला ठिकाने का इतिहास | History of Khejrla Fort

खेजड़ला ठिकाने का इतिहास | History of Khejrla Fort : जैसलमेर के रावल केहर के छोटे भाई हमीर के वंशज जैसलमेर से मछवाला गांव आये और मछवाला से पोकरण | पोकरण रहने के कारण भाटियों की यह शाखा पोकरणा भाटी कहलाई...

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मायरा व भात भरने की परम्परा में भी जुड़ा है पर्यावरण प्रेम

मायरा यानी भात भरने की परम्परा में भी जुड़ा है पर्यावरण प्रेम : हमारे देश में बहन की पुत्री या पुत्र की शादी में मायरा भरने की परम्परा सदियों पुरानी है | मायारा भरने को भात भरना भी कहते हैं | कोई भी...

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स्वतंत्रता के लिए चांदी के गोले दागने वाले किले को आज जरुरत है आपकी

जिस किले की रक्षा के लिए वहां की प्रजा ने अपने चांदी के गहने राजा को समर्पित कर दिए थे, ताकि लोहे की कमी झेल रहा राज्य चांदी के गोले बनाकर दुश्मन पर दाग सके | आज वही किला अपने अस्तित्व को बचाने के लिए...

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प्राचीन इतिहास और संस्कृति की विरासत रोहतासगढ़ दुर्ग

 रोहतासगढ़ दुर्ग : राष्ट्र के प्राण उसकी संस्कृति और इतिहास में बसते हैं। संस्कृति और इतिहास के नष्ट होने से राष्ट्र भी निर्जीव और ऊर्जाहीन हो जाता है। प्राचीन दुर्ग इतिहास और संस्कृति की इसी विरासत को...

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राम के पुत्र कुश के वंशजों ने किया था इस किले का निर्माण

रोहतासगढ़ किले से सम्बन्धित 12 वीं सदी से पहले का कोई शिलालेख तो नहीं मिलाता, लेकिन विभिन्न इतिहासकारों के मुताबिक इस किले पर कभी कछवाह क्षत्रिय वंश का शासन था और इसी वंश के रोहिताश्व ने इस किले का...

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राजा मानसिंह आमेर को बेहद लगाव था इस किले से

 अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित होने के कारण राजा मानसिंह को रोहतासगढ़ किले से बेहद लगाव था। अतः मुगल शासन में उस क्षेत्र की सूबेदारी मिलने पर उन्होंने अपना मुख्यालय रोहतासगढ़ को ही बनाया और स्वयं अपनी...

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उदावत राठौड़ों के ठिकाने रायपुर गढ़ का इतिहास

रायपुर मारवाड़ रियासत का एक महत्वपूर्ण ठिकाना था |इस ठिकाने पर रियासतकाल में उदावत राठौड़ों का शासन था | रायपुर से पहले जैतारण उदावत राठौड़ों की राजधानी थी | उदावत राठौड़ उदाजी राठौड़ के वंशज हैं | उदाजी...

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Jaisalmer Fort : जैसलमेर का सोनार दुर्ग

 जैसलमेर के विशाल रेगिस्तान में जैसलमेर दुर्ग जिसे सोनार का किला के नाम से विश्व में जाना जाता है, किसी तिलिस्म व आश्चर्यलोक सा लगता है। रेत के अथाह समन्दर के बीच बने इस स्वप्न महल को देखकर मन में हैरत...

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यहाँ मन्नत मांगी जाती है छ: सौ वर्ष पुरानी बैलगाड़ी से | Lok Devta Hadbuji...

 विविधताओं से भरे हमारे देश में देवताओं, इंसानों, पशुओं, पक्षियों व पेड़ों की पूजा अर्चना तो आम बात है| लेकिन आज हम एक ऐसे स्थान की जानकारी देंगे जहाँ एकबैलगाड़ी की पूजाअर्चना की जाती है| लोगों की...

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धीरावत कछवाह इतिहास | कछवाह वंश की धीरावत शाखा का इतिहास

आमेर नरेश किल्हण जी के बड़े पुत्र कुंतल जी तथा दूसरे खींवराज जी थे. किल्हण के बाद कुंतल जी आमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा खींवराज जी को बैनाड़ की जागीर मिली. खींवराज जी के पौत्र धीरा जी हुये, धीरा जी के...

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एक भूमिगत सुरंग पार करनी है सदियों पुराने मंदिर में प्रवेश के लिए

पीसांगन फोर्ट में एक देवी का मंदिर बना है, इसी देवी मंदिर में  एक खिड़की नुमा छोटा सा किवाड़ देखकर दिखाई देता जो देखने में लगता है  कि दीवार में कोई आलमारी बनी होगी पर ये भी एक दरवाजा है | इस दरवाजे को...

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शेखावाटी के ठिकाने पचार का इतिहास | सांवलदास जी का शेखावतों का इतिहास

History of Pachar Thikana of Shekhawat. Sanwalda ji ka Shekhawat History. शेखावाटी और शेखावत वंश के प्रवर्तक और अमरसर नरेश राव शेखाजी के तीसरे वंशज राव लूणकरण जी के पुत्र सांवलदास जी हुए | सांवलदास जी...

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: शिव का दिव्य धाम Omkareshwar Mahadev

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ज्ञान दर्पण डॉट कॉम पर, जहां हम आपको भारत के प्राचीन ऐतिहासिक और पवित्र स्थलों की जानकारी देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ज्योतिर्लिंग की जानकारी देंगे, जो मध्य प्रदेश के...

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खाटू का युद्ध : शेखावतों और मुगलों के मध्य बाबा श्याम की नगरी में लड़ा गया युद्ध

 खाटू का युद्ध (वि. 1837 ई. 1780)महाराजा जयपुर ने समझौते के अनुसार दिल्ली बादशाह को खिराज अदा नहीं की तो हिम्मतबहादुर को जयपुर भेजा पर हिम्मत बहादुर भी एक वर्ष जयपुर में पड़ा रहा पर वह राजा से खिराज...

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फतेहपुर का युद्ध : शेखावत V/S कायमखानी

 (वि. 1788 ई. 1732) : शेखावाटी के फतहपुर परगने पर क्यामखानी नवाबों का राज्य था। कुछ समय पूर्व ही सीकर के शिवसिंह ने क्यामखानियों की फूट का लाभ उठाकर वहां के शासक सरदार खां को हटाकर उसके भाई मीरखां के...

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मांवडा मंडोली युद्ध (वि. 1824 ई. 1767)

रणभूमि में योद्धाओं के स्मारक मांवडा युद्ध(वि. 1824 ई. 1767)जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वारा बादशाह मुहम्मदशाह के समय जाट बदनसिंह को अपने अधीन कर उसे भरतपुर की जागीर दी गई। बदनसिंह ने सवाई जयसिंह का...

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