खेजड़ला ठिकाने का इतिहास | History of Khejrla Fort
खेजड़ला ठिकाने का इतिहास | History of Khejrla Fort : जैसलमेर के रावल केहर के छोटे भाई हमीर के वंशज जैसलमेर से मछवाला गांव आये और मछवाला से पोकरण | पोकरण रहने के कारण भाटियों की यह शाखा पोकरणा भाटी कहलाई...
View Articleमायरा व भात भरने की परम्परा में भी जुड़ा है पर्यावरण प्रेम
मायरा यानी भात भरने की परम्परा में भी जुड़ा है पर्यावरण प्रेम : हमारे देश में बहन की पुत्री या पुत्र की शादी में मायरा भरने की परम्परा सदियों पुरानी है | मायारा भरने को भात भरना भी कहते हैं | कोई भी...
View Articleस्वतंत्रता के लिए चांदी के गोले दागने वाले किले को आज जरुरत है आपकी
जिस किले की रक्षा के लिए वहां की प्रजा ने अपने चांदी के गहने राजा को समर्पित कर दिए थे, ताकि लोहे की कमी झेल रहा राज्य चांदी के गोले बनाकर दुश्मन पर दाग सके | आज वही किला अपने अस्तित्व को बचाने के लिए...
View Articleप्राचीन इतिहास और संस्कृति की विरासत रोहतासगढ़ दुर्ग
रोहतासगढ़ दुर्ग : राष्ट्र के प्राण उसकी संस्कृति और इतिहास में बसते हैं। संस्कृति और इतिहास के नष्ट होने से राष्ट्र भी निर्जीव और ऊर्जाहीन हो जाता है। प्राचीन दुर्ग इतिहास और संस्कृति की इसी विरासत को...
View Articleराम के पुत्र कुश के वंशजों ने किया था इस किले का निर्माण
रोहतासगढ़ किले से सम्बन्धित 12 वीं सदी से पहले का कोई शिलालेख तो नहीं मिलाता, लेकिन विभिन्न इतिहासकारों के मुताबिक इस किले पर कभी कछवाह क्षत्रिय वंश का शासन था और इसी वंश के रोहिताश्व ने इस किले का...
View Articleराजा मानसिंह आमेर को बेहद लगाव था इस किले से
अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित होने के कारण राजा मानसिंह को रोहतासगढ़ किले से बेहद लगाव था। अतः मुगल शासन में उस क्षेत्र की सूबेदारी मिलने पर उन्होंने अपना मुख्यालय रोहतासगढ़ को ही बनाया और स्वयं अपनी...
View Articleउदावत राठौड़ों के ठिकाने रायपुर गढ़ का इतिहास
रायपुर मारवाड़ रियासत का एक महत्वपूर्ण ठिकाना था |इस ठिकाने पर रियासतकाल में उदावत राठौड़ों का शासन था | रायपुर से पहले जैतारण उदावत राठौड़ों की राजधानी थी | उदावत राठौड़ उदाजी राठौड़ के वंशज हैं | उदाजी...
View ArticleJaisalmer Fort : जैसलमेर का सोनार दुर्ग
जैसलमेर के विशाल रेगिस्तान में जैसलमेर दुर्ग जिसे सोनार का किला के नाम से विश्व में जाना जाता है, किसी तिलिस्म व आश्चर्यलोक सा लगता है। रेत के अथाह समन्दर के बीच बने इस स्वप्न महल को देखकर मन में हैरत...
View Articleयहाँ मन्नत मांगी जाती है छ: सौ वर्ष पुरानी बैलगाड़ी से | Lok Devta Hadbuji...
विविधताओं से भरे हमारे देश में देवताओं, इंसानों, पशुओं, पक्षियों व पेड़ों की पूजा अर्चना तो आम बात है| लेकिन आज हम एक ऐसे स्थान की जानकारी देंगे जहाँ एकबैलगाड़ी की पूजाअर्चना की जाती है| लोगों की...
View Articleधीरावत कछवाह इतिहास | कछवाह वंश की धीरावत शाखा का इतिहास
आमेर नरेश किल्हण जी के बड़े पुत्र कुंतल जी तथा दूसरे खींवराज जी थे. किल्हण के बाद कुंतल जी आमेर की राजगद्दी पर बैठे तथा खींवराज जी को बैनाड़ की जागीर मिली. खींवराज जी के पौत्र धीरा जी हुये, धीरा जी के...
View Articleएक भूमिगत सुरंग पार करनी है सदियों पुराने मंदिर में प्रवेश के लिए
पीसांगन फोर्ट में एक देवी का मंदिर बना है, इसी देवी मंदिर में एक खिड़की नुमा छोटा सा किवाड़ देखकर दिखाई देता जो देखने में लगता है कि दीवार में कोई आलमारी बनी होगी पर ये भी एक दरवाजा है | इस दरवाजे को...
View Articleशेखावाटी के ठिकाने पचार का इतिहास | सांवलदास जी का शेखावतों का इतिहास
History of Pachar Thikana of Shekhawat. Sanwalda ji ka Shekhawat History. शेखावाटी और शेखावत वंश के प्रवर्तक और अमरसर नरेश राव शेखाजी के तीसरे वंशज राव लूणकरण जी के पुत्र सांवलदास जी हुए | सांवलदास जी...
View Articleओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: शिव का दिव्य धाम Omkareshwar Mahadev
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ज्ञान दर्पण डॉट कॉम पर, जहां हम आपको भारत के प्राचीन ऐतिहासिक और पवित्र स्थलों की जानकारी देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ज्योतिर्लिंग की जानकारी देंगे, जो मध्य प्रदेश के...
View Articleखाटू का युद्ध : शेखावतों और मुगलों के मध्य बाबा श्याम की नगरी में लड़ा गया युद्ध
खाटू का युद्ध (वि. 1837 ई. 1780)महाराजा जयपुर ने समझौते के अनुसार दिल्ली बादशाह को खिराज अदा नहीं की तो हिम्मतबहादुर को जयपुर भेजा पर हिम्मत बहादुर भी एक वर्ष जयपुर में पड़ा रहा पर वह राजा से खिराज...
View Articleफतेहपुर का युद्ध : शेखावत V/S कायमखानी
(वि. 1788 ई. 1732) : शेखावाटी के फतहपुर परगने पर क्यामखानी नवाबों का राज्य था। कुछ समय पूर्व ही सीकर के शिवसिंह ने क्यामखानियों की फूट का लाभ उठाकर वहां के शासक सरदार खां को हटाकर उसके भाई मीरखां के...
View Articleमांवडा मंडोली युद्ध (वि. 1824 ई. 1767)
रणभूमि में योद्धाओं के स्मारक मांवडा युद्ध(वि. 1824 ई. 1767)जयपुर के राजा सवाई जयसिंह द्वारा बादशाह मुहम्मदशाह के समय जाट बदनसिंह को अपने अधीन कर उसे भरतपुर की जागीर दी गई। बदनसिंह ने सवाई जयसिंह का...
View Articleहम्मीरदेव चौहान : History of Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore
History of Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore राजस्थान की वीर प्रसूता भूमि में जन्म लेने वाले वीरों की श्रंखला में भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान, तृतीय की वंश परम्परा में रणथम्भोर में...
View Articleहम्मीर देव चौहान का व्यक्तित्व : History of Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore
Hammir Dev Chauhan of Ranthambhore History in Hindiसम्राट पृथ्वीराज के बाद हम्मीर ने अपने दिग्विजय अभियान से एक फिर चौहान शक्ति की भारत में धाक जमा दी थी. अपने शौर्य, वीरता, साहस के बल पर हम्मीर ने...
View Articleमावंडा मंडोली युद्ध 14 दिसंबर 1767 महत्त्वपूर्ण बिंदु
मावंडा मंडोली युद्ध 14 दिसंबर 1767महत्त्वपूर्ण बिंदु यह युद्ध जयपुर के राजा माधोसिंह जी और भरतपुर के राजा जवाहर सिंह जी के मध्य 14 दिसंबर 1767 को हुआ था | युद्ध में जवाहर सिंह जी स्वयं मौजूद थे और...
View Articleभारत के माथै का चन्दन : भैरोसिंह शेखावत - पुस्तक समीक्षा
भारत के माथै का चन्दन : भैरोसिंह शेखावत - पुस्तक समीक्षा भारत के उपराष्ट्रपति और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व. भैरोसिंह जी शेखावत पर लिखी पुस्तक "भारत के माथै का चन्दन : भैरोसिंह शेखावत" का...
View Articleनाग राजवंश का इतिहास History of Nag Rajvansh
नाग राजवंश का इतिहास : नाग क्षत्रिय (तक्षक)यह ऋषि वंश की प्रसिद्ध शाखा है। इस कुल के क्षत्रिय भारत के कोने-कोने में रहते हैं। आवागमन एवं रोज़गार के कारण विदेशों में भी पाये जाते है। इनके राज्यों की...
View Articleकौन होते है नागवंशी क्षत्रिय : History of Nag Rajvansh in Hindi
नाग राजवंश का इतिहास बहुत प्राचीन है | इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद जी ओझा ने अपनी पुस्तक “राजपूताने का इतिहास” में लिखा है कि “नागवंश का अस्तित्व महाभारत युद्ध के पहले से पाया जाता है | महाभारत के समय...
View Articleठाकुर के कुएं के साथ कभी ठाकुर की व्यथा पर ध्यान दिया है ?
वीडियो में जो ये दृश्य देख रहे हैं यह राजस्थान के एक गांव का दृश्य है, | आज इस गांव में हर घर में पक्के मकान बने है, पीने के पानी के लिए हर घर में नल लगे है, बच्चों के खेलने के लिए खेल का मैदान है तो...
View Articleराजस्थान के इतिहास की एक अनोखी घटना : योद्धा द्वारा धरती माता को रक्त पिंडदान
“महाप्रतापी राव शेखा के वंशज शूराग्रणी केसरीसिंह खण्डेला अजमेर के शाही सूबेदार से लड़ते हुए अगणित घावों से घायल हो, रणक्षेत्र में खून से लथपथ बेहोश पड़े थे। शरीर से रक्त धाराएँ फूट रही थी। काफी देर बाद...
View Articleराजा केसरी सिंह खंडेला : Raja Kesari Singh Shekhawat of Khandela
राजा केसरी सिंह खंडेला (चित्र प्रतीकात्मक है)Raja Kesari Singh Shekhawat of Khandela, History of Khandela खंडेला के राजा बहादुर सिंह जी शेखावत के दिवंगत होने के बाद उनके बड़े पुत्र केसरी सिंह जी विक्रम...
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