हठीलो राजस्थान-28
पेट फाड़ पटकै सिसू ,रण खेतां खूंखार |बगसै माफ़ी बिरियाँ ,सरणाई साधार ||१६६||माता ने अपना पेट चीर कर जो पुत्र उत्पन्न किया ,वह युद्ध क्षेत्र में खूंखार सिद्ध हुआ | वह शरण में आए शत्रुओं को क्षमा प्रदान कर...
View Articleहठीलो राजस्थान-29
लेवण आवे लपकता,सेवण माल हजार |माथा देवण मूलकनै,थोडा मानस त्यार ||१७२||मुफ्त में धन लेने के लिए व धन का संग्रह करने के लिए तो हजारों लोग स्वत: ही दौड़ पड़ते है ,किन्तु देश की रक्षा के लिए अपना मस्तक...
View Articleहठीलो राजस्थान-30
तोपां जाझां ताखड़ी,सीस पडै कट कट्ट |बण ठण बैठा किम सरै,रण माची गहगट्ट ||१७८||वीर पत्नी पति से कहती है - तोपें गरजती हुई गोले बरसा रही है,जिससे शत्रुओं के मुंड कट कट कर गिर रहे है | हे स्वामी ! बन ठन कर...
View Articleहठीलो राजस्थान-31
लोपण पहलां पाल पर,कोपण पहलां पेख |रोपण चाल्यो आज थूं ,मणधर माथै मेख ||१८४||हे वीर ! तू शत्रु-सेना को देखने से पहले ही क्रुद्ध हो उसे सीमा प्रवेश करने से पूर्व ही ध्वंस करने के चल पड़ | इस प्रकार तू...
View Articleहठीलो राजस्थान-32
धरती जाती नह रुकै,निबलां नांजोगांह |रजवट बाँधी आ रसा,जावै नह जोगांह ||१९०||निर्बल और योग्य व्यक्तियों के अधिकार से जाती हुई धरती रूकती नहीं है क्योंकि यह धरती योग्य व्यक्तियों के साथ वीरता की रस्सी से...
View Articleहठीलो राजस्थान-33
हर पूनम मेलो भरै,नर उभै कर जोड़ |खांडै परणी नार इक,सती हुई जिण ठोड ||१९६||वीर की तलवार के साथ विवाह करने वाली वीरांगना जिस स्थान पर सती हुई ,वहां आज भी हर पूर्णिमा को मेला भरता है तथा लोग श्रद्धा से...
View Articleआतम औषध
मौसम विभाग, भारत के पूर्व महानिदेशक ड़ा.लक्ष्मण सिंह राठौड़ की कलम से....स्वामी सम्पूर्णानन्द बाल्यकाल से ही शुक्र-ज्ञानी तथा वाकपटु थे| माँ-बाप का दिया नाम कोजा राम था| प्यार से लोग उन्हें कोजिया बुलाते...
View Articleइतिहास व महापुरुष हथियाने की कोशिश
भारत में सदियों से जाति व्यवस्था रही है। सभी जातियां अन्य दूसरी जातियों का सम्मान करते हुए, एक साझी संस्कृति में प्रेमपूर्वक रहती आई है। देश के महापुरुष भले किसी जाति के हों, वे सबके लिए आदरणीय व...
View Articleतिहावली किले का इतिहास
खंडहर में तब्दील होते जा रहे इस छोटे से किले के भी कभी सुनहले दिन थे | आस पास के कई गांवों पर इस किले से शासन चलता था | इसी किले में कभी कचहरी लगती थी, जिसमें यहाँ के ठाकुर अपने अधीन गांवों के...
View Articleबिसाऊ किले का इतिहास
सन 1755 ई. में बना यह गढ़ अंग्रेजी हकुमत की आँखों की किरकिरी रहा | इसी गढ़ के एक शासक ने तुंगा युद्ध में मुकाबला कर जयपुर राज्य की स्वतंत्रता व प्रजा को महादाजी सिंधिया के कोप से बचाने के लिए वीरता...
View Articleअपने प्रिय राजा के खिलाफ ही किया स्वतंत्रता आन्दोलन का शंखनाद
स्वतंत्रता आन्दोलन के पुरोधा कुंवर मदन सिंह राजावत : जिस राजा की गोद में खेले उसी कि रियासत में किया स्वतंत्रता आन्दोलनका शंखनादआज हम स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ी एक ऐसी रोचक घटना की बात करेंगे जिस पर...
View Articleप्राचीन शेखावाटी प्रदेश में गुप्त काल
शेखावाटी प्रदेशमें गुप्त काल : गुप्त सम्राटोंके सत्ता में आने से पहले दूसरी शताब्दी ईस्वी में मत्स्य जनपद पर अनेक गणतंत्री कबीलों के शासन करते रहने के प्रमाण मिलते हैं, जिनमें आर्जुनायन मुख्य थे।...
View Articleसीकर भाजपा ने फिर दिखाया राजपूत समाज को ठेंगा
राजस्थान में भाजपा के पक्के वोट बैंक रहे राजपूत समाज को सीकर भाजपाने जिला परिषद टिकट वितरण में ठेंगा दिखाया है | पुरे जिले में राजपूत नेताओं को मात्र तीन जगह से टिकट दी गई है | जबकि परिषद के पिछले...
View Articleराजपूत युवाओं के लिए छोटे चुनाव लड़ना जरुरी क्यों ?
राजपूत युवाओं के लिए छोटे चुनाव लड़ना जरुरी क्यों ? : सीकर भाजपा द्वारा जिला परिषद चुनावों में राजपूत समाज के नेताओं को कम टिकट देने की हमारी खबर पर कई प्रतिक्रियाएं आई | राजपूत युवाओं द्वारा व्यक्त इन...
View Articleसामी गांव का इतिहास History of Sami Kheda Village
सीकर जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर सामी गांव अपनी कई विशेषताओं के चलते प्रसिद्ध है | इस गांव से रणवा जाट, गौड़ और शेखावत राजपूतों का इतिहास जुड़ा है | यह गांव मूल रूप से कब बसा इसकी कोई प्रमाणिक...
View Articleइतिहास चोरी रोकनी है तो ये करना ही होगा
इतिहास चोरी को लेकर आज राजपूत युवा सबसे ज्यादा आक्रोशित है, जिसकी अभिव्यक्ति वह अक्सर सोशियल मीडिया में करता रहता है | दरअसल जबसे सोशियल मीडिया प्रचलन में हुआ है हर कोई उसका इस्तेमाल अपने अपने एजेंडे...
View Articleक्या आप रणोही जागने के बारे में जानते हैं
राजस्थान के इतिहास व आम बोलचाल की भाषा में एक शब्द है रणोही, जिसे कई जगह रणवाय भी बोला जाता है | ये शब्द आजकल बहुत कम प्रचलन में है क्योंकि वर्तमान पीढ़ी ना तो इसका मतलब समझती, ना इस पीढ़ी ने सुना है |...
View Articleक्यों कहा जाता है राजपूतों को रांघड़
रांघड़ या रांघड़ा संबोधन पर ज्यादातर राजपूत युवा चिढ़ जाते हैं और उनके विरोधी भी चिढाने या उन्हें नीचा दिखाने के लिए उन्हें रांघड़ या रांघड़ाकह कर संबोधित करते हैं | पर मजे की बात है कि दोनों पक्षों को इस...
View Articleमातृभूमि-प्रेम की वीरोचित परम्पराओं की एक अद्भुत झलक
कैसी अद्भुत थीं यहाँ की मातृभूमि-प्रेम की वे वीरोचित परम्पराएँ ? उनका विशद् विवेचन तो एक स्वतंत्र ग्रंथ का ही विषय है। इतिहास के कीर्तिपृष्ठों में वे शतशः बिखरी पड़ी है। यहाँ केवल एक झलक देख लीजिए ।...
View Articleक्या आप राजपूत सरनेम के आगे जी लगाने का मतलब जानते है
भारतीय संस्कृति में किसी भी उसके नाम के बाद “जी” लगाकर संबोधित करने की परम्परा है, पर क्या आप जानते हैं कि राजपूत सरनेम के बाद जी लगाने का क्या अर्थ निकलता है | इस लेख में हम राजपूत समाज की एक ऐसी...
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