माण्डण का युद्ध : यूँ मिला प्रमाणिक इतिहास
माण्डण का युद्ध (Mandan near Rewari and Narnol) सं. 1822 वि. (सन् 1775 ई.) में लड़ा गया था, जिसकी स्मृति प्रत्येक शेखावत घराने में आज भी ताजा बनी हुई है। विशेष रूप से झुंझुनू और उदयपुरवाटी परगनों का...
View Articleराष्ट्र व समाजद्रोह के नये पैमाने घड़ने में लगे ठेकेदार
जब से मानव समाज के रूप में रहने लगा, मानव की रहन-सहन संस्कृति विकसित हुई| मानव द्वारा सामाजिक व राज व्यवस्था स्थापित करने के बाद समाज व राष्ट्र के विरोधी कार्य को समाज व राष्ट्रद्रोह के रूप में जाना...
View Articleऐतिहासिक व्यक्तित्व: गोपालदास जी गौड़
Gopaldas Gaur Story in Hindi, History of Gaur Rajput in Hindiगौड़ बंगाल का राजा रणजीत गौड़ हिन्दाल से युद्ध करता हुआ मारा गया। उसके चंपावत नगर को एक रानी बाघेली थी। रानी बाघेली के हरचन्द नाम का पुत्र...
View Articleजगदीश सिंह राणा : पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री उत्तरप्रदेश
भारतवर्ष की धरा पर क्षत्रिय माताओं ने ऐसे शूरमाओं को अपनी कोख से समय-समय जन्म दिया है जिनमें सिंह शावक के समान निडरता, हाथी जैसे विशालकाय पशु के मस्तक पर आरुढ़ होकर उसके कपोलों को घायल कर रुधिराप्लवित...
View Articleगौरी का इतिहास और पृथ्वीराज की भूलें
अपनी क्रूरता, बर्बरता और पाशविकता में मोहम्मद गौरी Mohmmad Ghori अपने से पूर्व आये मलेच्छ मुस्लिम आक्रमणकारियों मुहम्मद बिन कासिम और महमूद गजनवी से जरा भी भिन्न न था। लेकिन इतना अंतर था कि पूर्ववती...
View Articleरानी कर्मवती और हुमायूं, राखी प्रकरण का सच
इतिहास में चितौड़ की रानी कर्मवती जिसे कर्णावती भी कहा जाता है द्वारा हुमायूं को राखी भेजने व उस राखी का मान रखने हेतु हुमायूं द्वारा रानी की सहायता की बड़ी बड़ी लिखी हुईं है. इस प्रकरण के बहाने हुमायूं...
View Articleराजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर साहित्यकार श्री सौभाग्य सिंह जी की चिंता
श्री सौभाग्य सिंह शेखावत राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार है| राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूचि में शामिल नहीं करने व केंद्र सरकार द्वारा मान्यता नहीं देने के पर चिंता व्यक्त करते हुए शेखावत...
View Articleबचन
म्हांरी नांव बचन है अर कौल नै बोल भी म्हनै कैवै है। म्हांरा पिरवार में म्हांरी सगळां सूं इधकौ आघमांन है। जठै कठैई आपसरी में बैर विरोध, खटपट, झगड़ौ, झांटी नै बोलीचाली व्है जावै तौ मैं बीच में पड़, बीच...
View Articleचिणौ
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार श्री सौभाग्यसिंह शेखावत की कलम से....आजकाल लोगबाग म्हनै भूंगड़ौ कैवै है। पैली चिणौ कैवता। पण, इण सूं म्हनै किणी रीत-भांत री नाराजगी कोनी। औ प्रक्रति रौ धारौ इज है।...
View Articleशेखावाटी प्रदेश का प्राचीन इतिहास : पुस्तक
राजस्थान के शेखावाटी के प्रदेश के प्राचीन इतिहास पर स्व.सुरजन सिंह शेखावत, झाझड़ द्वारा शोधपूर्वक लिखित पुस्तक "शेखावाटी प्रदेश का प्राचीन इतिहास" (Shekhawati prdesh ka prachin itihas book) का प्रथम...
View Articleचाटू
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से ...... घणा लोग चाटू (Chatu) नै कोरौ लाकड़ी रौ टुचकलौ, रूख रौ छांग्यौ-छोल्यौ, ठूंठियौ, खाती रा रंदा सूं रांद काटियोड़ौ रसोवड़ा रौ...
View Articleगांवों में रिफाइंड के नाम पाम आयल बेचने का घिनौना खेल
भारत में ज्यादातर व्यवसाय आपसी भरोसे से चलता है और खासकर गांवों में तो दुकानदार व ग्राहक के बीच यह भरोसा बहुत सुदृढ़ होता है| यही कारण है कि गांवों की दुकानों पर उधारी की सूची काफी लम्बी होती है,...
View ArticleInvitation न्यूंतौ
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से............गोठ-धूघरी, ब्याव-सावां, सनेही, भाई-भायलां नै बुलावै उण नै न्यूंतौ (Invitation) कैवै। न्यूंतौ ऊधारी हांती...
View Articleलोकदेवता वीर तेजोजी
Lok Devta Vir Tejaji पर राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से .................‘इण धरती रा ऊपज्या तीतर नह भाजन्तं’ रा बिड़दावरी मैंमा वाळी राजस्थान री भौम...
View Articleजातां जुगां न जाय-मेड़तौ
राजस्थानी भाषा साहित्य, संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से ...........सुतंतरता तांई बरोबर दो पीढ़ियां लड़ता-झगड़ता रहबाळा मेड़तिया साखा रा राठौड़ां रौ मूळ स्थान मेड़तौ (Merta...
View Articleमयूरधुज गढ़ : मेहरानगढ़ जोधपुर
मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह शेखावत की कलम से..........जोधपुर रौ किलौ मोरघुज (Mehrangarh) बाजै। मारवाड़ री ख्यातां में इण रौ जलम नांव गढ़ चिंतामणी मिलै। नगर, किला, कोट कमठाणां री...
View Articleसिरैगढ़ जैसलमेर
मूर्धन्य साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह शेखावत की कलम से........इतिहास में साढी तीन साकां री ख्यात वाळी, भड़ किंवाड़ उतराध रा बिड़दाव वाळी, राग रागण्या री महाराणी मांड राग री जळम भौम माडदेश आजकलै...
View Articleराजस्थान रा इतिहास रौ वेदव्यास-नैणसी
ठाकुर सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से............राजस्थान री धरती सूरां वीरां री कर्तव्य भौम, प्रेम रा पुजारियां री रंग-थळी, साध-संतां री साधना स्थळी नै जती-मुनियाँ री भ्रमण भौम रैयी है। जुद्ध अनै...
View Articleस्वतंत्रता सेनानी डूंगजी जवाहरजी
लेखक : सौभाग्यसिह शेखावतभारतीय स्वतन्त्रता के लिए संघर्षरत राजस्थानी योद्धाओं में शेखावाटी के सीकर संस्थान के बठोठ पाटोदा के ठाकुर डूंगरसिंह (Dungji), ठाकुर जवाहरसिंह शेखावत (Jawaharji), बीकानेर के...
View Articleराजस्थान रो ख्यात साहित्य
साहित्यकार, इतिहासकार श्री सौभाग्यसिंह जी शेखावत की कलम से..... राजस्थानी भासा रा पद्य री भांत गद्य भी घणौ सबळौ है। जूनै गद्य में ख्यातां, बातां, वचनिकावां, हकीकतां, विगतां, वंसावळियां पट्टावळियां, आद...
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