भारत में ज्यादातर व्यवसाय आपसी भरोसे से चलता है और खासकर गांवों में तो दुकानदार व ग्राहक के बीच यह भरोसा बहुत सुदृढ़ होता है| यही कारण है कि गांवों की दुकानों पर उधारी की सूची काफी लम्बी होती है, दुकानदार को यह उधारी फसल आदि निकलने के बाद ही मिलती है| दुकानदार ग्राहक पर भरोसा कर उधार देता है तो ग्राहक भी भरोसा कर दुकानदार के कहने पर या उसके यहाँ उपलब्ध सामान को ठीक समझकर बिना ज्यादा पड़ताल किये खरीद लेता है| इस तरह आपसी भरोसे के साथ गांवों में व्यवसाय होता है फिर ग्राहक व दुकानदार भी एक ही गांव के रहने वाले या पारिवारिक होते है अत: वहां उत्पाद की पड़ताल से ज्यादा आपसी भरोसा ज्यादा महत्त्व रखता है| गांव के दुकानदार भी वर्षों से इस भरोसे को निभाते आ रहे है, लेकिन वर्तमान आर्थिक युग में धन का महत्त्व आपसी भरोसे व सम्बन्धों से ज्यादा बढ़ा है यही कारण है कि एक ही गांव के रहने वाले, एक साथ पले-बढे, एक साथ शिक्षा पाए, एक साथ खेले-कूदे लोग आपस में ही ठगी कर चिरकाल से चले आ रहे इस भरोसे को धन कमाने के लालच में तोड़ने लगे है|
अभी हाल ही अपने गांव प्रवास के दौरान ऐसे ही मामले सामने आये| गांव की एक दूकान जिसका मालिक गांव में पला-बढ़ा, गांव वालों से ही कमाई कर बड़ा दूकानदार बना, गांव के ही लोगों को रिफाइंड के नाम पर रिफाइंड से आधे से कम दाम मूल्य का पाम ऑइल बेचता पकड़ा गया| इस दूकानदार ने हद तो तब कर दी जब गांव के पूर्व सरपंच को ही रिफाइंड के नाम पर पाम आयल पकड़ा दिया और शिकायत पर कुछ भी सुनने को राजी तक नहीं हुआ| हार कर पूर्व सरपंच को स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों को शिकायत कर दूकानदार के खिलाफ कार्यवाही करवानी पड़ी| हालाँकि इस शिकायत के बाद भी जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी का रवैया टालमटोल वाला रहा और उसे पूर्व सरपंच द्वारा मंत्री से सीधे बात करने की धमकी देने के बाद CMHO ने दूसरे दिन कार्यवाही हेतु खाद्य निरीक्षक को भेजा जब तक मिलावट व मुनाफाखोर सभी दूकानदार सचेत हो चुके थे और उन्होंने अपने अपने गोदामों से इस तरह का माल हटवा दिया था|
अक्सर गांवों में आपसी सौहार्द बनाये रखने के नाम पर लोग इस तरह की शिकायत नहीं करते और इसी के साथ आपसी भरोसे की आड़ में दूकानदार ज्यादा कमाई के नाम असुरक्षित खाद्य सामग्री बेच गांव के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है|
रिफाइंड के नाम पर बेचा जाने वाला सस्ता पाम आयल अक्सर जम जाता है पर आपसी भरोसे के चलते व किसी की छोटी-मोटी शिकायत पर दूकानदार द्वारा तेल के बारे में झूंठ समझा बूझा देने के बाद लोग मान लेते है कि तेल सही है ज्यादा सर्दी की वजह से जम गया होगा या फिर समझने के बाद भी शिकायत नहीं करते, यदि कोई जागरूक ग्रामीण नागरिक फोन पर अधिकारीयों को शिकायत करता भी है तो अधिकारी उससे शहर आकर लिखित में देने को कहते है, क्योंकि वे जानते है सुदूर गांव में रहने वाला व्यक्ति अपना काम धंधा छोड़कर किराया खर्च शहर कतई नहीं आयेगा और उनकी बला टल जायेगी| इस तरह स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों के गैर जिम्मेदारना रवैये के चलते हरामखोर दुकानदारों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती|
उपरोक्त मामले की जांच के बाद सामने आया कि सीकर जिले में स्वास्तिक व विमल के नाम पर जो रिफाइंड आयल बेचा जा रहा है वह रिफाइंड से आधे के कम मूल्य का पाम आयल है|जबकि पाम आयल के इन डिब्बों पर रिफाइंड लिखा होता है|
अभी हाल ही अपने गांव प्रवास के दौरान ऐसे ही मामले सामने आये| गांव की एक दूकान जिसका मालिक गांव में पला-बढ़ा, गांव वालों से ही कमाई कर बड़ा दूकानदार बना, गांव के ही लोगों को रिफाइंड के नाम पर रिफाइंड से आधे से कम दाम मूल्य का पाम ऑइल बेचता पकड़ा गया| इस दूकानदार ने हद तो तब कर दी जब गांव के पूर्व सरपंच को ही रिफाइंड के नाम पर पाम आयल पकड़ा दिया और शिकायत पर कुछ भी सुनने को राजी तक नहीं हुआ| हार कर पूर्व सरपंच को स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों को शिकायत कर दूकानदार के खिलाफ कार्यवाही करवानी पड़ी| हालाँकि इस शिकायत के बाद भी जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी का रवैया टालमटोल वाला रहा और उसे पूर्व सरपंच द्वारा मंत्री से सीधे बात करने की धमकी देने के बाद CMHO ने दूसरे दिन कार्यवाही हेतु खाद्य निरीक्षक को भेजा जब तक मिलावट व मुनाफाखोर सभी दूकानदार सचेत हो चुके थे और उन्होंने अपने अपने गोदामों से इस तरह का माल हटवा दिया था|
अक्सर गांवों में आपसी सौहार्द बनाये रखने के नाम पर लोग इस तरह की शिकायत नहीं करते और इसी के साथ आपसी भरोसे की आड़ में दूकानदार ज्यादा कमाई के नाम असुरक्षित खाद्य सामग्री बेच गांव के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है|
रिफाइंड के नाम पर बेचा जाने वाला सस्ता पाम आयल अक्सर जम जाता है पर आपसी भरोसे के चलते व किसी की छोटी-मोटी शिकायत पर दूकानदार द्वारा तेल के बारे में झूंठ समझा बूझा देने के बाद लोग मान लेते है कि तेल सही है ज्यादा सर्दी की वजह से जम गया होगा या फिर समझने के बाद भी शिकायत नहीं करते, यदि कोई जागरूक ग्रामीण नागरिक फोन पर अधिकारीयों को शिकायत करता भी है तो अधिकारी उससे शहर आकर लिखित में देने को कहते है, क्योंकि वे जानते है सुदूर गांव में रहने वाला व्यक्ति अपना काम धंधा छोड़कर किराया खर्च शहर कतई नहीं आयेगा और उनकी बला टल जायेगी| इस तरह स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों के गैर जिम्मेदारना रवैये के चलते हरामखोर दुकानदारों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती|
उपरोक्त मामले की जांच के बाद सामने आया कि सीकर जिले में स्वास्तिक व विमल के नाम पर जो रिफाइंड आयल बेचा जा रहा है वह रिफाइंड से आधे के कम मूल्य का पाम आयल है|जबकि पाम आयल के इन डिब्बों पर रिफाइंड लिखा होता है|