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Channel: ज्ञान दर्पण
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डॉग एक्सपेंसेज अकाउंट (कुत्ता खर्च खाता)

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ताऊ एक बड़ी कम्पनी में मुख्य लेखाधिकारी यानी चीफ अकाउन्टेंट था| एक बार उसकी कम्पनी के खाते आयकर विभाग की स्क्रूटनी जाँच के दायरे में आ गये| आयकर विभाग के अधिकारी नित्यप्रति कम्पनी के दफ्तर में आकर कई दिनों से बही खातों की जांच कर रहे थे|

मुख्य लेखाधिकारी ताऊ उन अधिकारियों के कम्पनी दफ्तर तक आने जाने की व्यवस्था व उनके खान-पान का पुरा ख्याल रखता था और रखे भी क्यों नहीं आखिर इस व्यवस्था पर होने वाला पुरा खर्च कम्पनी ही भुगतती जो थी, साथ ही बिना खातिर किये जाँच अधिकारीयों द्वारा बही खातों में कमियां निकाल परेशान करने का भी डर था| फिर सरकारी अधिकारियों की आवभगत के लिए अच्छे अच्छे होटलों से आने वाले लजीज पकवानों का ताऊ भी पुरा मजे से स्वाद ले रहा था, यही नहीं जब से अधिकारी जाँच के लिए आने शुरू हुए थे तब से ताऊ ने घर से खाने का टिफिन लाना भी बंद कर रखा था, और इसी बात को लेकर ताई भी ताऊ से बड़ी खुश थी आखिर सुबह सुबह उसे भी टिफिन के लिए खाना बनाने की जहमत से छुटकारा मिला हुआ था|

आयकर विभाग के अधिकारियों को कम्पनी के खातों में कोई गड़बड़ नजर आती वे ताऊ से पूछते और ताऊ सीधा सपाट सही सही जबाब दे देता, ताऊ की इस साफगोई व स्पष्टवादिता से आयकर अधिकारी भी बड़े प्रभावित थे व खुश थे, अधिकारियों ने भी ताऊ के बारे में जान लिया था कि ताऊ सिर्फ नाम का ही ताऊ नहीं है बल्कि पुरी तरह से ताऊत्व को प्राप्त है इसलिए वे बही खातों में ताऊ द्वारा लिखी हर प्रविष्टि को सही मान लेते वैसे भी अधिकारियों ने ताऊ के ताऊत्व के आगे मान लिया था कि जो ताऊ ने लिखा उसे सही मान लेना चाहिए क्योंकि ताऊ के किसी कार्य को पकड़ना उनके बस का कहाँ था?

एक दिन एक अधिकारी की नजर जाँच करते हुए एक खर्च खाते के नाम शीर्षक (हेड) पर पड़ी जिस पर लिखा था “कुत्ता खर्च खाता (डॉग एक्सपेंसेज अकाउंट)|" अधिकारी ने सोचा कम्पनी के मालिक ने कोई कुत्ता पाल रखा होगा और उस पर आया खर्च यहाँ लिख दिया होगा और वह उस खाते की उत्सुकता से गहन जांच करने लगा| अधिकारी ने देखा उस खाते में बड़ी बड़ी रकमों की प्रविष्टियाँ थी, खाने-पीने के सामान के कई मोटी मोटी रकमों के फाइव स्टार होटलों के बिल थे, जिन्हें देख अधिकारी असमंजस में पड़ गया सोचने लगा- कभी कोई व्यक्ति कुत्तों के लिए भी फाइव स्टार होटल से खाना मंगवाएगा? और वो भी इंसानों के खाने वाले मीनू के अनुसार ? फिर कुछ प्रविष्टियाँ नकद की भी थी जिन्हें देख अधिकारी फिर सोचने लगा- कुत्तों को नकद भुगतान ? कुत्ते क्या करेंगे नकद रकम का ? जरुर ये टेक्स बचाने का कोई मोटा खपला है|

इस खाते में लिखी एक भी प्रविष्टि की बात और उपयोगिता अधिकारी को समझ नहीं आई तो उसने ताऊ से पूछा-
“ताऊ ! ये कुत्ता खर्च खाता क्या है ? आजतक हमने तो किसी भी फर्म के खातों में ऐसे नाम वाला खर्च खाता नहीं देखा| फिर इसमें फाइव स्टार होटलों तक के खाने-पीने के बिलों की प्रविष्टयाँ की गई है| कुतों को नकद भुगतान की प्रविष्टियाँ भी है| कृपया इनके बारे में स्पष्टीकरण दे|

ताऊ बोला- “रे अफसर ! तूं इस खाते के बारे में व इसमें लिखी प्रविष्टियों के बारे में ना पूछे तो ही अच्छा रहेगा|”

पर आयकर विभाग के ऑडिट अफसर को तो इसी खर्च खाते में कोई घपला दिख रहा था वह मन ही मन खुश हो रहा था कि अब इस खाते को लेकर अपने आपको महाताऊ समझने वाले इस लेखाधिकारी ताऊ की वाट लगाऊंगा| सो अफसर ने ताऊ पर फिर बताने के लिए दबाब डाला|

ताऊ ने कई बार समझाया कि- “इस खर्च खाते के बारे में ना पूछे तो ही ठीक रहेगा| सुनकर तेरे होश उड़ जायेंगे| इस राज को राज रहने दे|”

पर अधिकारी ना माना उसने तो ताऊ के आगे जिद ही पकड़ कि-बताना ही पड़ेगा वरना वह उसकी शिकायत आगे करेगा और कम्पनी पर दंडात्मक कार्यवाही करवायेगा|

अफसर की जिद देख ताऊ को भी लगा कि- अब ये अफसर बिना जाने मानने वाला नहीं सो अब इसे असलियत बता ही देना चाहिए और ताऊ ने अफसर को सबके सामने ही स्पष्टता के साथ अपने ताऊ स्टाईल में बताना शुरू किया-
“तुम लोगों के लिए जो खाना पानी फाइव स्टार होटलों से आ रहा है और तुम्हारे जैसे और भी सरकारी, अर्धसरकारी अफसरों के लिए पहले आया था उन्हीं बिलों की इसी कुत्ता खर्च खाते में प्रविष्टियाँ होती है और तुम्हें रिश्वत में जो कम्पनी द्वारा नकद भुगतान दिया जाता है वही कुत्तों को नकद भुगतान किया दिखाया जाता है|”

ताऊ की एकदम स्पष्ट बात सुन अफसर सकपका गया उसकी तो वह हालत हो गई कि "काटो तो खून नहीं" और बेचारा नीची गर्दन कर बगलें झांकता हुआ वहां से खिसकता बना|

अफसर के जाते ही ताऊ ने ठहाका लगाया- पहले ही बताया था इस बारे में मत पूछ|


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