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एक आतंकी की फांसी के बहाने

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आज फिर चौपाल पर हमारे पड़ौसी वर्मा जी का पिंटू अपने साथियों सहित हाथ में अफजल का चित्र लिए खड़ा था हम दूर से उसका उद्वेलित मक्कारीपूर्ण चेहरा देख ताड़ गये कि अफजल की फांसी से वह बहुत ज्यादा दुखी होने का नाटक कर कोई राजनैतिक फायदे के चक्कर में है और वैसे भी उसकी नजर में ये फांसी राजनैतिक हथकंडा है कल ही तो कह रहा था कि अफजल को फांसी सरकार ने भगवा वालों के दबाव में व उस विकास पुरुष का दिल्ली कूच रोकने के लिए दी है| और पिंटू उस विकास पुरुष और भगवा वालों को अपना दुश्मन न.1 समझता है|

अफजल की फांसी से दुखी अंदाज में खड़ा पिंटू आज अपने साथियों को बड़े दार्शनिक अंदाज में समझा रहा था कि- “सबके साथ न्याय’ ही देश को देश बना कर रखता है। एक समुदाय को न्याय से वंचित रखने की कोशिशें न केवल मजहबी कट्टरपंथ को जन्म देती हैं, बल्कि उस समुदाय के भीतर की अमनपरस्त आवाजों को जिबह भी कर देती हैं। और, किसी भी धर्म के भीतर बैठे चंद मजहबी कट्टरपंथियों से लड़ना आसान है, पर पूरे समुदाय के हारे हुए यकीन से नहीं|”

उसके साथी उसका दर्शन सुन वाह वाह कर रहे थे| उनमें से एक बोला विरोधियों को डायलोग मार पस्त करना तो कोई हमारे पिंटू जी से सीखे| पिंटू की बात तो सही थी पर अफजल के चित्र के साथ इस वाक्य का संदर्भ देने से लगता था कि- वह अफजल की फांसी पर एक समुदाय विशेष के प्रति सद्भावना प्रकट करते हुए उन्हें भड़काना चाहता था|

तभी चौपाल पर उनकी बातें ध्यान से सुन रहे शकील भाई से रहा नहीं गया और वे पिंटू मण्डली के बीच में आकर बोलने लगे- “अरे इस आतंकी को न्याय की कौनसी प्रक्रिया द्वारा नहीं गुजरा गया- कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति तक जाने तक का इसको मौका दिया और तुम कह रहे हो कि इसे न्याय नहीं मिला ? फिर तुम जिस समुदाय के हिमायती बन रहे हो मैं भी उसी समुदाय का हूँ जब हम समुदाय वालों को इस आतंकी की फांसी से कोई दुख, नाराजगी नहीं है तो तुम क्यों दुबले हुए जा रहे हो ?”

शकील भाई का पिंटू मण्डली ने कोई जबाब नहीं दिया पर शकील भाई ने आगे बोलना जारी रखा- “ऐसे ही आतंकियों को तुम लोगों ने हमारे समुदाय से जोड़कर तुम लोगों ने फालतू ही हमारे समुदाय को बदनाम किया है| हमारे समुदाय के प्रति तुम्हारी ऐसी ही सद्भावना के चलते आज हर कोई हमें राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग देखता है, हमारी विश्वसनीयता पर अंगुली उठने लगी| और फिर ये आतंकी कौनसा हमारे समुदाय का नेता था| भाईयो कृपया करके ऐसे आतंकी का नाम हमारे समाज से मत जोड़ो|” शकील भाई की उत्तेजना देख हमने भी मामले में टांग डालते हुए कहा- “शकील भाई ! पिंटू ने जो वाक्य कहा है वह एक आदर्श वाक्य है, आम वाक्य है कि - “सबके साथ न्याय ही देश को देश बना कर रखता है। एक समुदाय को न्याय से वंचित रखने की कोशिशें न केवल मजहबी कट्टरपंथ को जन्म देती हैं, बल्कि उस समुदाय के भीतर की अमनपरस्त आवाजों को जिबह भी कर देती हैं। और, किसी भी धर्म के भीतर बैठे चंद मजहबी कट्टरपंथियों से लड़ना आसान है, पर पूरे समुदाय के हारे हुए यकीन से नहीं” और शायद पिंटू ने इस वाक्य को अफजल के संदर्भ नहीं कहा|

हम शकील भाई को समझा ही रहे थे कि पिंटू ने अपने साथियों से कहा- “देखा ! एक बयान रूपी तीर छोड़ दो फिर देखो लोग कैसे जहर बिखरते है|” कहकर पिंटू अपनी मण्डली सहित चलता बना|

पिंटू का वाक्य सुन हमने शकील भाई से कहा –“ शकील भाई ! इन छिछोरों के आगे बहस करने का कोई फायदा नहीं| ये अपने आपको सेकुलर साबित करने के लिए कुछ भी कैसी भी बकवास कर सकतें है| इन्होंने जिस कालेज में पढ़ा है वहां के अध्यापक तक ऐसे ही सेकुलर है कुछ लाल किताबें क्या पढली ये अपने आपको समाज सुधारक और चिन्तक मान बैठे है, रही सही कसर अन्ना आंदोलन में उमड़ा जन सैलाब और फिर दिल्ली दुष्कर्म कांड में उपजे लोगों के गुस्से रूपी आंदोलन में हिस्सा लेकर ये अपने आपको क्रांतिकारी व सत्याग्रही मान बैठे है| इनकी मानसिकता के हिसाब से ये दोनों आन्दोलन इन्हीं की वजह से सफल हुए है|"
ये इस मुगालते में है कि ये आंदोलन उनके चिंतन और फेसबुक पर उनकी लेखनी की वजह से अपने चरम पर पहुंचे है| पहले तो इन्हें थोड़ी घर खर्च की तकलीफ थी पर नारीवादी आन्दोलनों का समर्थन कर ये एक कमाने वाली नारी के दिल में जगह बनाने में कामयाब रहे और उससे शादी करली अब इन्हें कमाने की भी जरुरत नहीं| साथ ही सत्याग्रही छवि से मिली इस कामयाबी से प्रेरणा ले अब फुल टाइम सत्याग्रही बने घुम रहे है कि ऐसे ही कभी नेता बनने का छींका इनके भाग्य से टूट ही जायेगा|”

हमारी बातें ध्यान से सुन रहे पास ही खड़े शर्मा जी बोले- “वो तो ठीक है ! पर मुझे डर लग रहा है कि कहीं अफजल की फांसी का विरोध करने के चक्कर में हमारे पड़ौसी के बेटे इस पिंटू को पुलिस ना पकड़ ले|”

हमने कहा- “शर्मा जी ! ये तो चाहता भी यही है कि किसी बहाने इसे पुलिस पकडे और ये अपने आपको सत्याग्रही साबित करें| गिरफ्तार होते ही इसे टी.वी चैनलों पर चेहरा चमकाने का मौका मिलेगा और ये ठीक उसी तरह रातों रात अपनी टीआरपी बढ़ा लेगा जैसे पिछले दिनों एक कार्टूनिष्ट ने उल्टे सीधे कार्टून बना कर गिरफ्तार हो अपनी टीआरपी बढ़ा ली थी| अब देखिए ना कि बेचारे कितने ही कार्टूनिष्टों ने एक से बढ़िया एक सरकार की टांग खिंचने व सामाजिक बुराइयों पर चोट करते कार्टून बनाते हुए जिंदगी गुजार दी पर आजतक उन्हें उतनी टीआरपी नहीं मिली जितनी उस अकेले नौसिखये कार्टूनिष्ट को मिल गई बस उसी की प्रेरणा से ये पिंटू भी चाहता है कि- पुलिस किसी बहाने इसे गिरफ्तार करले और इसी हेतु ये आतंकी अफजल का चित्र लिए उसकी फांसी का विरोध करता घुम रहा है|”

हमारी बातों से शर्मा जी व शकील दोनों समझ गये कि- पिंटू जैसे लफंगों को किसी बहाने अपनी नेतागिरी आगे बढानी है इन्हें किसी समुदाय या धर्म से कोई लेना देना नहीं भले इनके द्वारा व्यक्त की गई सद्भावना से किसी समुदाय की छवि पर अप्रत्यक्ष गलत प्रभाव ही क्यों ना पड़े|
फिर वैसे भी ये लफंगे तो धर्म को अफीम के नशे के समान ही समझते है| जिन्हें किसी धर्म में ही विश्वास नहीं वे क्या किसी धर्म का पक्ष लेंगे भला ? फिर चाहे वे अपने आप को कितने भी बड़े सेकुलर क्यों ना कहते हो !!


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