Quantcast
Channel: ज्ञान दर्पण
Viewing all articles
Browse latest Browse all 533

कट्टरवाद : यत्र तत्र सर्वत्र

$
0
0
सदियों से संसार में अनेक वाद चलते आये है, समय समय पर पुराने वाद को पछाड़ते हुए नए वादों का प्रादुर्भाव होता आया है ये वाद राजनीति, धर्म, भक्ति सहित सभी सामाजिक क्रियाकलापों में बनते बिगड़ते रहे है| वर्तमान में भी हमारे देश सहित दुनियां में कई वाद मौजूद है जैसे- पूंजीवाद, समाजवाद, गांधीवाद, दक्षिणपंथ वाद, मार्क्सवाद, दलितवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, नक्सलवाद, मानवाधिकारवाद आदि आदि ढेरों नाम गिनाये जा सकते है|

इन वादों के ज्यादातर अनुयायी या समर्थक अपने अपने वाद का कट्टरता से पालन करते और अपने अपने वाद को श्रेष्ठ मानते हुए दुसरे वाद समर्थक पर अपना वाद थोपने के चक्कर में क्रियाशील रहते है| जब तक कोई वादी अपने वाद की खूबियाँ गिनाते हुए उसे श्रेष्ठ बताये तब तक तो विवाद नहीं होता पर जब कोई वादी दुसरे के वाद की आलोचना करते हुए उसे निम्न साबित करने की कोशिशें करता है तो सम्बंधित वाद समर्थक उसका विरोध करते है इसी विरोध व अपने वाद का कठोरता से पालन करने को आलोचना करने वाला कट्टरवाद की संज्ञा दे देता है| और फिर कट्टरवाद की आलोचना शुरू हो जाती है|

मजे की बात है कि सभी वादों में अपने अपने तरीके का कट्टरवाद पूरी तरह से मौजूद है पर किसी भी वादी को अपने वाद में मौजूद कट्टरपन दिखाई नहीं देता उसे तो बस अर्जुन को चिड़ियाँ की आंख नजर आने की तरह दुसरे के वाद में कट्टरपन नजर आता है और वह उस कट्टरवाद की आलोचना करता नहीं थकता|

अब देखिये ना हमारे देश के मार्क्सवादियों, लेनिंवादियों, माओवादियों, नक्सलवादियों को अपने भीतर का कट्टरवाद नजर नहीं आता पर धार्मिक कट्टरवादी, कट्टर पूंजीवादी, कट्टर समाजवादी उनके निशाने पर रहते है| देश के कट्टर राष्ट्रवादियों को अपने भीतर का कट्टरपन नजर आने के बजाय दुसरे का धार्मिक कट्टरपन नजर आता है तो धार्मिक और जातिय कट्टरवादियों को राष्ट्रवादियों में कट्टरवाद नजर आता है|

कुल मिलाकर देश में मौजूद हर वाद में कट्टरवाद घुसा हुआ है और भ्रष्टाचार की तरह सर्वत्र व्याप्त है| पर हमें अपने कट्टरवाद की बजाय सिर्फ और सिर्फ दुसरे का कट्टरपन नजर आता है और हम उसके कट्टरवाद को खत्म करने के लिए उतावले रहते है|

काश देश का हर नागरिक अपने अन्दर व्याप्त कट्टरवाद बाहर निकाल फैंके तभी देश को इस कट्टरवाद से निजात मिल सकती है क्योंकि यही कट्टरवाद आज अनेकता में एकता वाले देश का सबसे बड़ा दुश्मन है|

marksvad,kattarvad,rashtrvad,hindutv,samajvad,gandhivad,lelinvad,punjivad

Viewing all articles
Browse latest Browse all 533


<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>