बेशक देश के नागरिक भ्रष्टाचार से त्रस्त है आये दिन किसी न किसी के नेतृत्व में देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए आन्दोलन करते रहते है पर यदि देश के नेताओं, अफसरों व आम नागरिक का आचरण देखें तो लगता है जैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले आन्दोलन तो महज एन्जॉय करने के लिए है असल में तो सब भ्रष्टाचार को अपनाते हुए अपनी तरक्की करने में लगे| नेता, अभिनेता, सरकारी अफसर, खिलाड़ी, कर्मचारी, निजी संस्थानों के कर्मचारी सब ने एक ही लक्ष्य बना रखा है अपने आपको विकसित करना है तो भ्रष्टाचार का सहारा लो और फिर भ्रष्टाचार को ही कोसते हुए आगे बढ़ते रहो ताकि किसी की नजर भी ना लगे| इन सबके पास भ्रष्टाचार कर आगे बढ़ने की असीम संभावनाएं है पर बेचारे आम नागरिक के पास ऐसी संभावनाएं नहीं थी तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वो अपना विकास कर इन भ्रष्टाचारियों के साथ कदम ताल मिलाकर कैसे चले ?
पर आजकल सरकार द्वारा जन-कल्याण के नाम पर चलाई गई विभिन्न योजनाओं में आम नागरिक द्वारा भ्रष्टाचार करने की गुंजाईस व उन्हें लिप्त देखता हूँ तो सोचता हूँ –“कहीं सरकार ने आम व गरीब आदमी का विकास करने के लिए उसे भी भ्रष्टाचार कर विकसित होने का मौका देने के लिए तो इन योजनाओं का शुभारम्भ नहीं कर रखा ?”
वैसे भी इस देश के बुद्दिजीवी पिछड़ों द्वारा भ्रष्टाचार अपना कर अपना विकास करते हुए आगे बढ़ने को अच्छा संकेत मान रहे है जैसे- अभी कुछ माह पहले ही जयपुर में आयोजित एक मेले में एक बुद्दिजीवी जो दलितों के खिलाफ एक बयान में फंस गए थे ने सफाई देते हुए कहाँ कि- दलित भी भ्रष्टाचार अपना कर आगे बढ़ रहे है इसकी प्रसंशा होनी चाहिए|” हो सकता सरकार ने ऐसे ही बुद्दिजीवियों की बातें सून आम नागरिक को भी भ्रष्टाचार कर आगे बढ़ने का मौका दे रही हो|
अब देखिये ना गरीबों के लिए मनरेगा नाम की योजना बनाई है जिसमें नेता, अफसर, कर्मचारी के साथ मिलकर मुफ्त दिहाड़ी लेकर आम गरीब आदमी भी भ्रष्टाचार कर सकता है| ऐसे ही गावों में बहुत सी योजनाएं आती है जैसे अकाल राहत, बायोगैस संयंत्र, काम के बदले अनाज योजना से निर्माण, कच्चे रास्ते, प्याज रखने के लिए सब्सिडी वाले शेड, कृषि ऋण, फसल बीमा आदि आदि योजनाओं की बहुत लम्बी सूची है जो आम आदमी को भी भ्रष्टाचार करने की असीम संभावनाएं उपलब्ध करा रही है जिनके माध्यम से आम आदमी भ्रष्टाचार अपनाकर अपना विकास करने में लगा|
मुझे तो लगता है आने वर्षों में सरकारें देश से गरीबी भागने के लिए भ्रष्टाचार को औजार के रूप में इस्तेमाल करेगी| चुनावी घोषणा पत्रों में साफ़ लिखा होगा कि हम आम आदमी के लिए भ्रष्टाचार करने हेतु दरवाजे खोलने के लिए फलां फलां योजनायें लायेंगे| तब देश का हर नागरिक भ्रष्टाचार में डूब अपना विकास करने में लगा होगा| घरों में सुबह शाम आरतियाँ भी गूंजा करेगी- “जय भ्रष्टाचार देवा....|” देश का हर नागरिक भ्रष्टाचार के बूते आगे बढ़ चूका होगा, गरीबी भ्रष्टाचार के फैलते ही भाग खड़ी होगी| इसका सबूत भी दिखता है जिस नेता, अफसर ने भ्रष्टाचार अपनाया गरीबी उनसे कोसों दूर भाग खड़ी हुई और तो और आज देश की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार रूपी समस्या खुद ही चुटकी में ख़त्म हो जायेगी क्योंकि तब हर नागरिक भ्रष्ट होगा, जब खुद भ्रष्ट होगा तो किसी पर अंगुली भी ना उठायेगा|
यदि कहीं थोड़े बहुत ईमानदार बच गए तो उनके खिलाफ आन्दोलन चलेंगे कि हमारे विकास में टांग अड़ा रहें है इनका तबादला किया जाय| ईमानदारों पर आरोप लगेंगे कि ये भ्रष्टाचार के बीच बाधा बनकर विकास के आड़े आ रहे है, हो सकता है आज भ्रष्ट शब्द को गाली समझने वाले तब किसी को हरिशचंद्र कहने पर वह इस शब्द को गाली मानकर बुरा मान जाय|
पर आजकल सरकार द्वारा जन-कल्याण के नाम पर चलाई गई विभिन्न योजनाओं में आम नागरिक द्वारा भ्रष्टाचार करने की गुंजाईस व उन्हें लिप्त देखता हूँ तो सोचता हूँ –“कहीं सरकार ने आम व गरीब आदमी का विकास करने के लिए उसे भी भ्रष्टाचार कर विकसित होने का मौका देने के लिए तो इन योजनाओं का शुभारम्भ नहीं कर रखा ?”
वैसे भी इस देश के बुद्दिजीवी पिछड़ों द्वारा भ्रष्टाचार अपना कर अपना विकास करते हुए आगे बढ़ने को अच्छा संकेत मान रहे है जैसे- अभी कुछ माह पहले ही जयपुर में आयोजित एक मेले में एक बुद्दिजीवी जो दलितों के खिलाफ एक बयान में फंस गए थे ने सफाई देते हुए कहाँ कि- दलित भी भ्रष्टाचार अपना कर आगे बढ़ रहे है इसकी प्रसंशा होनी चाहिए|” हो सकता सरकार ने ऐसे ही बुद्दिजीवियों की बातें सून आम नागरिक को भी भ्रष्टाचार कर आगे बढ़ने का मौका दे रही हो|
अब देखिये ना गरीबों के लिए मनरेगा नाम की योजना बनाई है जिसमें नेता, अफसर, कर्मचारी के साथ मिलकर मुफ्त दिहाड़ी लेकर आम गरीब आदमी भी भ्रष्टाचार कर सकता है| ऐसे ही गावों में बहुत सी योजनाएं आती है जैसे अकाल राहत, बायोगैस संयंत्र, काम के बदले अनाज योजना से निर्माण, कच्चे रास्ते, प्याज रखने के लिए सब्सिडी वाले शेड, कृषि ऋण, फसल बीमा आदि आदि योजनाओं की बहुत लम्बी सूची है जो आम आदमी को भी भ्रष्टाचार करने की असीम संभावनाएं उपलब्ध करा रही है जिनके माध्यम से आम आदमी भ्रष्टाचार अपनाकर अपना विकास करने में लगा|
मुझे तो लगता है आने वर्षों में सरकारें देश से गरीबी भागने के लिए भ्रष्टाचार को औजार के रूप में इस्तेमाल करेगी| चुनावी घोषणा पत्रों में साफ़ लिखा होगा कि हम आम आदमी के लिए भ्रष्टाचार करने हेतु दरवाजे खोलने के लिए फलां फलां योजनायें लायेंगे| तब देश का हर नागरिक भ्रष्टाचार में डूब अपना विकास करने में लगा होगा| घरों में सुबह शाम आरतियाँ भी गूंजा करेगी- “जय भ्रष्टाचार देवा....|” देश का हर नागरिक भ्रष्टाचार के बूते आगे बढ़ चूका होगा, गरीबी भ्रष्टाचार के फैलते ही भाग खड़ी होगी| इसका सबूत भी दिखता है जिस नेता, अफसर ने भ्रष्टाचार अपनाया गरीबी उनसे कोसों दूर भाग खड़ी हुई और तो और आज देश की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार रूपी समस्या खुद ही चुटकी में ख़त्म हो जायेगी क्योंकि तब हर नागरिक भ्रष्ट होगा, जब खुद भ्रष्ट होगा तो किसी पर अंगुली भी ना उठायेगा|
यदि कहीं थोड़े बहुत ईमानदार बच गए तो उनके खिलाफ आन्दोलन चलेंगे कि हमारे विकास में टांग अड़ा रहें है इनका तबादला किया जाय| ईमानदारों पर आरोप लगेंगे कि ये भ्रष्टाचार के बीच बाधा बनकर विकास के आड़े आ रहे है, हो सकता है आज भ्रष्ट शब्द को गाली समझने वाले तब किसी को हरिशचंद्र कहने पर वह इस शब्द को गाली मानकर बुरा मान जाय|